पृष्ठ

Wednesday, March 16, 2011

श्रीराम से होली खेलने वाली रानी


- डॉ. शरद सिंह 
 कृष्ण के साथ गोपियों एवं भक्त रानियों द्वारा होली खेलने के प्रसंग अनेक ग्रंथों में मिलते हैं जबकि श्री राम को सदा मर्यादा पुरुषोत्तम माना जाने के कारण उनके साथ होली खेले जाने के प्रसंग नगण्य प्राय हैं। किन्तु बुन्देलखण्ड की ऐतिहासिक स्थली ओरछा में एक रानी हुई जिसका जीवन श्रीराम की भक्ति में डूबा हुआ था। उस रानी का नाम था कंचन कुंवरी।
रानी कंचन कुंवरी ओरछा के राजा महाराज सुजान सिंह की पत्नी थी। वह बाल्यावस्था से ही श्रीराम की अनन्य उपासिका थी। विवाह के बाद ओरछा आने पर भी उसकी राम-भक्ति में कोई कमी नहीं आई। अपने राममय जीवन में वह अपनी कल्पनाओं में भला होली खेलने राम के पास नहीं जाती तो और कहां जाती ?
        रसखान, पद्माकर आदि कवियों ने श्रीकृष्ण और गोपियों के परस्पर होली खेलने का जी भर कर वर्णन किया है किन्तु रानी कंचन कुंवरी ने श्रीराम और सीता के साथ होली खेलने का वर्णन करते हुए कविताएं लिखीं। ये पंक्तियां देखिए -


रसिया है खिलाड़ी, 
होरी को रसिया।
अबीर गुलाल भरत नैनन में, 
डारत है रंग केशर को ।
पकड़ न पावत भाज जात है, 
मूठा भर-भर रोरी को।।
 
      कंचन कुंवरी ने श्रीराम के साथ होली खेले जाने की कविता लिखते हुए परम्परागत शैली को तो अपनाया है किन्तु मर्यादाओं को कहीं भी नहीं लांघा है। जैसे-                                                                                         
खेलत ऐसी होरी, 
करत रघुबर बरजोरी।।  
नाको गेह खड़ो पनघट में 
छैल सकारी खोरी
धूम मचावत, रंग बरसावत, 
गावत हो-हो होरी
भरत अकम जोरा-जोरी।।
सारी तार-तार कर डारी,  
मोतिन की लर तोरी
कंचन कुंवरी’ मुरक गई 
बेसर में बहुभांति निहोरी
सुनी ऊने एक न मोरी।।

       फागुनी उमंग में डूबे अवध नरेश श्री राम ने जब रानी कंचन कुंवरी को मार्ग में रोकने का प्रयास किया तब रानी को कौशल्या माता का वास्ता देना पड़ा-  


मोरी छैको न गैल खैल रसिया
मदमाते छाक होरी के राजकुंवर 
हो अवध बसिया
संग की सखियां दूर निकर गईं
हो जों अकेली, मोरो डरपै जिया
सास, ननद कहूं जो सुन पैहें
गारी दैहें, मोरे प्राण पिया
‘कंचन कुंवरी’ कौशल्या बरै
तन मन तुम पै वार दिया
मोरी छैको न गैल खैल रसिया
     
       श्री राम से होली खेलने के लिए सीता जी से अनुमति लेने का ध्यान भी रानी कंचन कुंवरी ने रखा है और सीता यानी मिथिलेश लली से अनुमति मिल जाने पर रानी श्रीराम को सीता की भांति सजा कर होली खेलना चाहती है। यहां रानी का श्रीराम के प्रति ‘सखी भाव’ प्रकट होता है-

रसिया को आज पकड़ लैबी
है आज्ञा मिथिलेश लली की,  
तुरतई पालन कर लैबी
सकल अभूषण प्यारी जी के 
सज नागर भेष बना देबी
‘कंचन कुंवरी’ चरनन में नूपुर 
नखन महावर दे देबी।।


         श्रीराम की भक्त कवयित्री कंचन कुंवरी ने ब्रज और अवधी मिश्रित बुन्देली में भजन, बधाई, दादरा, बन्ना, झूला गीत और फाग गीतों की रचना की है जिन्हें आज भी समूचे बुन्देलखण्ड में ढोलक और मंजीरे के साथ गाया जाता है। किन्तु इन सभी रचनाओं में श्रीराम के साथ होली खेलने का वर्णन सबसे विशिष्ट कहा जा सकता है। भक्ति साहित्य में ऐसे उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं।

37 comments:

  1. सुन राम कथा मन पावन हे गओ
    आज "शरद" मन फागुन हे गओ
    भक्ति में डूब गयी जो "कंचन"
    रानी को तन-मन कंचन हे गओ
    "बुन्देली" में गीत सुनाये जो तुमने
    बस्तर को पथरा भी फागुन हे गओ

    ReplyDelete
  2. दुर्लभ जानकारी दी आपने.


    सादर

    ReplyDelete
  3. कौशलेन्द्र जी,

    आप की सुन्दर टीप मिली ज्यों
    मन को आंगन उपवन हे गओ....

    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  4. यशवन्त माथुर जी,

    होली की हार्दिक शुभकामनाएं !
    आभारी हूं....विचारों से अवगत कराने के लिए।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।

    ReplyDelete
  5. भक्ति रस से सजी यह रचना पढवाने के लिए आपका आभार ! राम भक्ति का अद्भुत रूप पहली बार देखा ! शुभकामनायें आपको !

    ReplyDelete
  6. सतीश सक्सेना जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद !
    आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  7. रानी 'कंचन कुंवरी ' और उनकी कविता से परिचय प्राप्त हुआ .आपने खोज कर इस तथ्य को सार्वजनिक किया उसके लिए धन्यवाद.

    ReplyDelete
  8. विजय माथुर जी,
    आभारी हूं....विचारों से अवगत कराने के लिए।
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....आपका सदा स्वागत है।
    होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  9. नवीनतम जानकारी । आभार...

    होली की हार्दिक शुभकामनाओं सहित...

    ReplyDelete
  10. सुशील बाकलीवाल जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद !
    आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाएं !

    ReplyDelete
  11. होली को बृज और वृदावन से जोडा जाता है, आप ने अयोध्या से लेख को सराबोर करके होली का नया रंग प्रस्तुत किया। बधाई।

    ReplyDelete
  12. शरद जी ,

    आपकी पोस्ट पढ़ कर पहली बार श्री राम के साथ होली का प्रकरण का ज्ञान हुआ ... आभार इतनी सुन्दर पोस्ट के लिए ..

    ReplyDelete
  13. हाँय! ये सब जानकारी कैसे खोज लेती है आप!!
    मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के साथ होली खेलने की ज्ञान वर्धक दुर्लभ जानकारी देने के लिए आपका बहुत धन्यवाद............
    आपको, आपके परिवार को होली की अग्रिम शुभकामनाएं!!

    ReplyDelete
  14. अति सुंदर...कलात्मक एवं प्रभावपूर्ण प्रस्तुति!

    ReplyDelete
  15. आनंददायक, अद्भुत जानकारी...कोटी-कोटी धन्यवाद

    ReplyDelete
  16. चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद.....
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें...
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  17. संगीता स्वरुप जी,
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  18. मदन शर्मा जी,
    आपके अमूल्य आत्मीय विचारों के लिए हार्दिक आभार...
    इसी तरह सम्वाद बनाए रखें....
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  19. मनोज कुमार जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद...
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  20. शम्भूनाथ जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद.....
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें...
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत सारी शुभकामनाएं

      Delete
  21. होली कृष्ण लीला का पर्याय ही है हमारे ग्रंथो में . ये नवीन जानकारी रही मेरे लिए . वैसे मैंने कुछ होली के देशज गीत सुने है राम की होली जनकपुर में .

    ReplyDelete
  22. ओम पुरोहित'कागद' जी,
    मेरे ब्लॉग का अनुसरण करने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
    आपका स्वागत है!
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  23. आशीष जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद.....
    इसी तरह अपने अमूल्य विचारों से अवगत कराते रहें...
    होली की शुभकामनायें एवं आभार....

    ReplyDelete
  24. बहुत सुन्दर जानकारी डॉ शरद ।

    ReplyDelete
  25. डॉ॰ दिव्या श्रीवास्तव जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद...
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....
    रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  26. होली पर बहुत ही भावनात्मक और उम्दा पोस्ट
    लिखा है आपने और चित्रों का भी
    संकलन सुन्दर है . होली की ढेरों
    बधाईयाँ !

    ReplyDelete
  27. आप को सपरिवार होली की हार्दिक शुभ कामनाएं.

    सादर

    ReplyDelete
  28. सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट)जी,

    बहुत बहुत धन्यवाद...
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....
    रंगपर्व होली आपको असीम खुशियां प्रदान करे..... शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  29. यशवन्त माथुर जी,
    हार्दिक धन्यवाद एवं आभार।
    आपको भी रंगपर्व होली पर असीम शुभकामनायें!

    ReplyDelete
  30. हम आपसे निवेदन करते हैं -
    कृपया निचे दिए लिंक द्वारा ब्लॉग पर
    पधारें-
    http://cartoondhamaka.blogspot.com/2011/03/blog-post_19.html#links

    ReplyDelete
  31. सुरेश शर्मा (कार्टूनिस्ट) जी,

    आपका निवेदन सिर-आंखों पर....वैसे मैं तो लगभग प्रतिदिन cartoondhamaka के लाजवाब कार्टून देख कर अपनी टिप्पणी भी दिया करती हूं...

    रंगपर्व होली आपको असीम खुशियां प्रदान करे..... शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  32. बहुत ही अच्छा है। आपको बधाई।

    my blog
    www.hamara-chhattisgarh.blogspot.com

    ReplyDelete
  33. राजेन्द्र राठौर जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद...
    आपके विचारों ने मेरा उत्साह बढ़ाया....

    ReplyDelete
  34. आपकी खोजी प्रवृत्ति आपके इस आलेख में साफ़ झलक रही है. आपने काफी अध्ययन किया है -ऐसा लगता है. मेरी बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
  35. अबनीश सिंह चौहान जी,
    बहुत बहुत धन्यवाद...
    मेरे लेख को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक आभार!

    ReplyDelete