- डॉ. शरद सिंह
इस बार गणतंत्र दिवस पर क्यों न हम याद करें उन वनोपज और खेतों की मेंड़ों पर उगने वाले झरबेरियों जैसे उन फलों को जो अब बाज़ार में नहीं, सिर्फ़ हमारी स्मृतियों में बचे हैं गोया इतिहास बन चुके हैं...और आने वाली पीढ़ी शायद उन्हें लुप्त हो चुके फल एवं वनोपज के रूप में सिर्फ़ किताबों के पन्नों पर ही देखेगी।
चार- चिरौंजी का फल जो खाने में बहुत स्वादिष्ट लगता है-
कमरख- जिसे स्टार फ्रूट भी कहते हो। स्वाद में मधुर खटमिट्ठा लगता है-
तेंदू के फल जो मधुर मिठास लिए होते हैं-
इस तरह के न जाने कितने फल हमने अपने जंगलों के साथ नष्ट कर के मधुर स्वादों से खुद को वंचित करते जा रहे हैं।
मैंने सच कहा न ?
वाकई इतिहास बनते जा रहे इन फलों की अच्छी याद दिलवाई आपने.
ReplyDeleteसुशील बाकलीवाल जी, हार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeleteआपने बहुत सही काम किया है। जहां ऐसे कुछ फल ग़ायब होते जा रहे हैं, वहीं कुछ ऐसी सांस्कृतिक परंपराएं, लोककलाएं और पर्व-त्योहार भी। ऐसे अवसरों पर उन्हें याद करना शायद उन्हें कुछ जीवन दे आए।
ReplyDeletemaine ye fruits pehle kabhi nahi dekhe.. akhiri to tamatar ki tarah lag rahe hai.. :)
ReplyDeleteRepublic Day ki bahut bahut shubkaamnayein
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Very thoughtful blogg
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