शरद सिंह जी मेरा सादर नमस्ते स्वीकार कीजिये! मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ. बहुत सुन्दर चित्र मय प्रस्तुति !!!! लेकिन एक बात याद रखिये ये तीर्थ स्थल हमें एक दुसरे से जोड़ने के लिए ही बनाये गए हैं देवी देवताओं की पूजा तो एक बहाना है एक दुसरे के नजदीक आने का !!
मदन शर्मा जी, सहमत हूँ मै भी आपसे कि.... तीर्थ स्थल हमें एक दूसरे से जोड़ने के लिए ही बनाये गए हैं देवी देवताओं की पूजा तो एक बहाना है एक दूसरे के नजदीक आने का....
मेरे लेख को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
सुन्दर और सूचना पूर्ण प्रस्तुति , चक्र-तीर्थ में मैं भी स्नान कर चुकी हूँ '-पाप धुल जाते हैं' यह सोच कर अच्छा लग रहा है !हाँ, चौरासी कोस परिक्रमा नहीं दे पाई . आभारी हूँ !
ब़ड़ा पुण्य का काम किया है आपने.
ReplyDeleteमनोज कुमार जी,
ReplyDeleteआभारी हूं आपकी स्नेहिल टिप्पणी हेतु...
वंदना जी आपकी मदद से मुझे ये जानकारी प्राप्त हुई आपको धन्यवाद
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद आप लोगों के कार्य से हम सभी को जानकारी प्राप्त हो जाती है
Deleteवाह आपने तो घर बैठे दर्शन करा दिये और साथ ही भ्रमण भी…………आभार्।
ReplyDeleteवन्दना जी,
ReplyDeleteमेरे लेख को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
लोक मान्यतानुसार चौरासी लाख योनियों से मुक्त होने के लिए चौरासी भ्रमण करने काफी तीर्थ यात्री आते हैं. अच्छी जानकारी --- आभार
ReplyDeleteअच्छी जानकारी .. सुंदर चित्र !!
ReplyDeleteबढिया जानकारी और बढिया चित्र। आभार॥
ReplyDeleteललित शर्मा जी,
ReplyDeleteमेरे लेख को पसन्द करने और अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक आभार!
संगीता पुरी जी,
ReplyDeleteजानकर प्रसन्नता हुई कि आपको मेरा लेख पसन्द आया....
हार्दिक धन्यवाद!
चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी,
ReplyDeleteमेरे लेख को पसन्द करने और अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
शरद सिंह जी मेरा सादर नमस्ते स्वीकार कीजिये! मैं समय न मिलने और कुछ व्यक्तिगत कारणों से बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र मय प्रस्तुति !!!!
लेकिन एक बात याद रखिये ये तीर्थ स्थल हमें एक दुसरे से जोड़ने के लिए ही बनाये गए हैं देवी देवताओं की पूजा तो एक बहाना है एक दुसरे के नजदीक आने का !!
मदन शर्मा जी,
ReplyDeleteसहमत हूँ मै भी आपसे कि....
तीर्थ स्थल हमें एक दूसरे से जोड़ने के लिए ही बनाये गए हैं देवी देवताओं की पूजा तो एक बहाना है एक दूसरे के नजदीक आने का....
मेरे लेख को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
Ojaswi Kaushal ji,
ReplyDeleteIt's pleasure to me .
I am glad that you feel that way.Thanks a lot.
सुन्दर और सूचना पूर्ण प्रस्तुति ,
ReplyDeleteचक्र-तीर्थ में मैं भी स्नान कर चुकी हूँ '-पाप धुल जाते हैं' यह सोच कर अच्छा लग रहा है !हाँ, चौरासी कोस परिक्रमा नहीं दे पाई .
आभारी हूँ !
प्रतिभा सक्सेना जी,
ReplyDeleteमेरे लेख को पसन्द करने और अपनी बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
नीलकमल जी,
ReplyDeleteआपको भी हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.....
मेरे लेख को पसन्द करने और बहुमूल्य टिप्पणी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद!
दिली इच्छा जगा दी है आपने नैमिषरण्य जाने की। देखिए कब पूरी होती अपनी इच्छा और पाप धूलते हैं..
ReplyDeleteboletobindas जी,
ReplyDeleteमेरे लेख को पसन्द करने और अपने विचारों से अवगत कराने के लिए हार्दिक आभार!
नैमिषारण्य के तीर्थों की अच्छी खासी जानकारी एक जगह सुलभ करा दी आपने. आभार.
ReplyDeleteनैमिषारण्य स्थित अध्यात्मविद्यापीठ के बारे में भी जानकारी दे सकें तो आभारी रहूँगा। यह आश्रम स्वामी नारदानंद सरस्वती द्वारा स्थापित है।
ReplyDeleteबहुत ज्ञान वर्धक
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