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Thursday, December 19, 2019

"Shikhandi ... Stri Deh Se Pare" - Novel of Dr (Miss) Sharad Singh in Hindi

"Shikhandi ... Stri Deh Se Pare" - Novel of Dr (Miss) Sharad Singh in Hindi
"सामान्यतः प्रत्येक हिन्दू परिवारों में ‘रामायण’ एवं ‘महाभारत’ की कथा कही, सुनी जाती है, मैंने भी अपने बचपन में ‘महाभारत’ की कथा सुनी थी, लेकिन एक शोधकर्ता के रूप में ‘महाभारत’ को पढ़ते हुए मेरे मन से इसके ‘धार्मिक ग्रन्थ’ होने का प्रभाव परे हट गया था और ज्ञान के स्रोत के रूप में मैंने इसका अध्ययन किया। इस ग्रन्थ के जिन पात्रों ने मेरा सबसे अधिक ध्यान आकृष्ट किया वे हैं---कृष्ण, कर्ण, द्रौपदी, भीष्म और शिखण्डी। मुझे हमेशा यह लगा कि इनमें शिखण्डी एक ऐसा पात्रा है, जिसका अस्तित्व भ्रांतियों के संजाल में उलझा हुआ है।
...... यह जानते हुए कि जब किसी बहुप्रचलित कथा अथवा परम्परागत मान्यताओं के नवीन पक्षों का उद्घाटन किया जाता है तो अनेक पुरानी मान्यताएं टूटती हैं और प्रचलित मान्यताओं के वाहक चौंकते हैं किन्तु चाहे इतिहास हो, विज्ञान हो अथवा साहित्य हो, उसका नवीन दृष्टि से पुनःआकलन, पुनर्लेखन किया जाना चाहिए जैसी कि हमारी भारतीय ज्ञान परम्परा रही है। हमने कभी अपनी संस्कृति की कसौटी पर वर्तमान को परखा है तो कभी वर्तमान के लक्षणों को अपनी प्राचीन संस्कृति में पाया है। यही कारण कि तमाम पश्चिमी प्रभावों के बीच भी हमारी भारतीय संस्कृति अक्षुण्ण है तथा व्यापक दृष्टि लिए हुए है। आज समूचा विश्व मौलिक ज्ञान की खोज में भारतीय प्राचीन ग्रन्थों की ओर देखता है।
इस उपन्यास को लिखने के पूर्व मैंने ‘महाभारत’ ग्रन्थ का पुनर्पाठ किया और साथ ही इस ग्रन्थ पर आधारित ग्रन्थों, पुस्तकों एवं इससे सम्बन्धित विविध साहित्य का भी अध्ययन किया। इन सबमें पर्याप्त विविधताएं भी मिलीं। फिर भी जिन तथ्यों में एकरूपता थी, उन्हीं को आधार बनाते हुए मैंने आगे का मार्ग तय किया।"
- डॉ शरद सिंह 
("शिखण्डी ... स्त्री देह से परे" उपन्यास की भूमिका से)

"Shikhandi ... Stri Deh Se Pare" - Novel of Dr (Miss) Sharad Singh in Hindi (Hard Cover)

"Shikhandi ... Stri Deh Se Pare" - Novel of Dr (Miss) Sharad Singh in Hindi (Paper Back)
 

1 comment:

  1. देह से परे , ऋतु , स्त्री न हि पुरुष कुछ ।
    जो देह से परे है , वह भाव-भावना है

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